उठो लाल अब आखें खोलो | कविता का अर्थ | लेखक अयोध्या सिंह उपाध्या हरिओध |
उठो लाल अब आखें खोलो | कविता का अर्थ | लेखक अयोध्या सिंह उपाध्या हरिओध |
कविता- उठो लाल अब आखें खोलो :-
उठो लाल अब आखें
खोलो,
पानी लायी हूँ मुह
धो लो.
बीती रात कमल दल
फुले,
उसके ऊपर भवरे झूले |
ALSO READ:-
उठो लाल अब आखें खोलो कविता का हिंदी अर्थ :-
माँ अपने बच्चें को सुबह सुबह जगा रही है | और अपने बच्चे से कह रही है बेटा उठ जा सुबह हो गई |
कमल का फूल खिल उठा है भवरे उसके ऊपर मंडराने लगे है |
चिड़िया चहक उठी पेडो
पे,
बहने लगी हवा अति
सुंदर.
नभ में प्यारी लाली
छाई,
धरती ने प्यारी छवि
पाई.
भोर हुई सूरज उग
आया,
जल में पड़ी सुनहरी
छाया.
उठो लाल अब आँखे खोलो कविता का अर्थ :-
माँ अपने बच्चे से कह रही है बेटा, चिड्या जग गई है, और बोलने लगी है |
सुंदर हवा बहने लगी है, आसमान लाल हो रहा है, और सूर्य भगवान आकाश में निकल रहे है,
और उनकी लाल प्रकाश धरती पर आने लगा है |
बेटा सुबह हो गई है, सूर्य भगवान उग गए है |
मेरे प्यारे बच्चे तुम भी उठ जाओ, पानी लायी हु, मुह हाथ धो लो |
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ
मुस्काई.
इतना सुंदर समय मत खोओं,
मेरे प्यारे अब मत
सोओं.
कविता उठो लाल अब आँखे खोलो का अर्थ:-
माँ अपने बच्चे से कह रही है, इतना सुंदर समय मत खोओं नन्ही नन्ही किरणें धरती पर आ गई है फूल खिल उठे है, कलिया मुस्करा रही है, मेरे बच्चे अब उठ जावो सुबह हो गई है |
कविता से शिक्षा :-
बच्चो को सुबह जल्दी उठना चाहिए |माता पिता के बातो को मानना चाहिए|
इस कविता के लेखक है |
अयोध्या सिंह उपाधय्या '' हरीओध ''
अयोध्या सिंह उपाधय्या हरीओध विकिपीडिया
ALSO READ:-
नर हो न निराश करो मन को कविता का अर्थ
इस आर्टिकल के बारे में कोई सुझाव देना हो तो कमेन्ट बॉक्स में लिखे |
No comments