नमन उन्हें मेरा शत बार ! कविता नमन |रामधारी सिंह दिनकर की हिंदी कविता |सैनिको के बारे में है |

 नमन उन्हें मेरा शत बार ! कविता नमन |रामधारी सिंह दिनकर की हिंदी कविता |सैनिको के बारे में है |

सैनिको को नमन


कविता नमन:-

नमन उन्हें मेरा शत बार !

सूख रही है बोटी – बोटी ,

मिलती नही घास की रोटी ,

गढ़ते हैं इतिहास देश का, सहकर कठिन की मार |

नमन उन्हें मेरा शत बार !


अर्ध्द्नंगन जिनकी प्रिय माया ,

शिशु विषष्ण – मुख जर्जर काया ,

रण की ओर चरण –द्रढ़ उनके, मन के पीछे करुण पुकार |

 नमन उन्हें मेरा शत बार !


जिनकी चढ़ती हुई जवानी ,

खोज रही अपनी क़ुरबानी ,

जलन एक जिनकी अभिलाषा, मरण एक जिनका त्योहार |

नमन उन्हें मेरा शत बार !


दुखी स्वयं जग का दुःख लेकर ,

स्वयं रिक्त सबको सूख देकर ,

जिनका दिया अमृत जग पीता, कालकूट जिनका आहार !

 नमन उन्हें मेरा शत बार !


वीर तुम्हारे लिए सहारा ,

टिका हुआ है भूतल सारा,

होते तुम न कही, तो कब का उलट गया होता संसार |

नमन तुम्हें मेरा शत बार !


चरण – धूलि दो शीश लगा लूं ,

जीवन का बल तेज जगा लूं ,

मै निवास जिस मूक स्वपन का, तुम उसके सक्रीय अवतार |

नमन तुम्हें मेरा शत बार !


-रामधारी सिंह ‘दिनकर’



रामधारी सिंह दिनकर

   

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी के यशस्वी कवि हैं |इनकी कविताओ में राष्ट्रवाद और बला का ओज है.इनकी रचनाएँ ‘दिनकर’ ग्रंथावली में संग्रहित है.इनकी प्रसिद्ध रचनाओं में प्रमुख हैं-

उर्वशी, रेणुका, परशुराम की प्रतीक्षा आदि |   

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